2 दिसंबर 2025

तीन कुंडलिया छंद

 1
न्‍यारा कितना अर्थ है, बूझो तो इक बार ।
तीन अर्थ हैं शब्‍द के, स्‍पैलिंग इक सार ।।
स्‍पैलिंग इक सार, भिन्‍न तीनों के मतलब ।
शब्‍दों का संसार, करे कितने ही करतब ।।
वर्तमान है एक, दूसरा विद्युत धारा      
दे न, वसूले ब्‍याज, बैंक खाता है न्‍यारा ।।  
(उत्‍तर- करंट)

2
तप कर खरे सुवर्ण से, गहने बनें अनूप।    
जैसे लोहा बिन तपे, बदले नहीं स्‍वरूप ।।   
बदले नहीं स्‍वरूप, वही है सच्‍चा साथी।
कब श्‍वानों के बीच, हुए हैं विचलित हाथी।।
श्रमस्‍वेदों को भूल, धूप में तपता हलधर।
देती तृण, फल, पुष्‍प, धूप में धरती तप कर।।

3
बचपन सुनता देखता, लिखता वो ही बात।
जात-पाँत , जज्‍बात या, दीन-दुखी हालात।।
दीन-दुखी हालात, मिलें सस्‍कारों से ही।
बनती पन्‍ना धाय, बने कोई वैदेही।।
मिट्टी से ही मूर्ति, बनें मिट्टी से बरतन।
हो सत्‍यार्थ प्रकाश, निखर जाता है बचपन।।      


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