29 दिसंबर 2011

नववर्ष तुम्‍हारा अभि‍नन्‍दन

वि‍गत वर्ष अब साँसें थामे
करने को आगत का स्वागत
अति‍ उत्सहि‍त है,’अभ्यागत’
आओ हे नववर्ष तुम्हारा अभि‍नन्दन।


रश्मिरथी के दि‍व्यासन पर सप्तशृंगार कि‍ये आए हो
उदधि‍ वि‍लोडन से नि‍कला क्या हालाहल अमृत लाए हो
आशाएँ बहुतों ने तुमसे हैं बाँधी
भरे फफोलों हाथों झेली हैं आँधी
बरकत दो इस वर्ष तुम्हारा अभि‍नन्दन।

परि‍णति‍ हो ऐसी सुख समृद्धि‍ घर आए
घर का भेदी कभी कहीं ना लंका ढाये
लाओ खुशि‍याँ घर में रोली कुमकुम बरसे
कोई कहीं ना लुटापि‍टा सा गुमसुम तरसे
उत्कर्ष बने यह वर्ष तुम्हारा अभि‍नन्दन।

चहुँ दि‍श प्रगति‍ राष्ट्र की प्रशस्‍त बने
हर तबके को न्याय मि‍ले आश्वस्त‍ बने
हर माँ अब अपनी कोखों से वीर जने
लि‍खें वीर रस कवि‍ कवि‍ता नवगीत बने
स्वागत है इस वर्ष तुम्हारा अभि‍नन्दन।


1 टिप्पणी:

Rahul Rathore ने कहा…

आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं..