4 अप्रैल 2017

भारतवर्ष महान्

छंद - सरसी (सम मात्रिक )
शिल्प विधान-
(सरसी छंद चौपाई की अर्धाली +दोहे का सम चरण मिलकर बनता है ।)   

मात्रिक भार - 16 , 11 = 27 (16 पर यति और अंत में s। जरूरी.)



गीत

उन्‍नत भाल हिमालय सुरसिर, गंगा जिसकी आन.
चहूँ-दिशा पहुँची है मेरे, भारत की पहचान.

शांति-दूत है बना तिरंगा, देता है संज्ञान.
चक्र सुदर्शन सा लहराये, करता है गुणगान.

वेद पुराण उपनिषद् गीता, जन गण मन सा गान.
न्‍याय और आतिथ्‍य हमारे, भारत के परिधान.

शून्‍य, ध्‍यान, संगीत, योग इस, धरती के वरदान.
अवतारों ने जन्‍म लिया वे, कहलाये भगवान

अद्वितीय है, अजेय अनूठा भारतवर्ष महान्
ऐसे भारत को ‘आकुल’ का, शत-शत बार प्रणाम.

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