21 जनवरी 2024

प्रभु राम रखो मन सारे

गीतिका

छन्‍द- कीर्ति (वार्णिक)

पदान्‍त- सारे
समान्‍त- अन 

हरि ओम भजो जन सारे ।

जब जीवन नश्‍वर प्राणी,

तब त्‍याग प्रयोजन सारे ।

अधि लालच मोह  न अच्‍छा

कम हों भव बंधन सारे ।

मनभेद करे तन मैला,

बस स्‍वच्‍छ रखो तन सारे ।        

वसुधैवकुटुम्‍ब बनाओ,   

धनवान-अकिंचन सारे ।    

सब ‘आकुल’ की सुन लो तो

तय जीवन रोशन सारे ।

3 टिप्‍पणियां:

surenderpal vaidya ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण गीतिका सृजन आदरणीय। जय श्रीराम 🙏💐🪷🪷🙏

surenderpal vaidya ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण गीतिका सृजन आदरणीय। जय श्रीराम 🙏💐🪷

surenderpal vaidya ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण गीतिका सृजन आदरणीय। जय श्रीराम 💐🙏💐